क्रिकेट में अंपायर का रोल बहुत बड़ा होता है। कितनी बार अंपायर के डिसीजन के वजह से मैच का रिज़ल्ट तय होता है। आईसीसी के नए नियमों से खिलाड़ियों के पास अब उनके डिसीजन को चैलेंज करने का मौका होता है, लेकिन एक समय पर अंपायर के गलत फैसले को भी खिलाड़ियों को स्वीकार करना पड़ता था।
कई बार खराब अंपायरिंग मुद्दा बना है, लेकिन अब बेहतरीन तकनीक होने के साथ साथ खिलाड़ियों के बाद डीआरएस का विकल्प मौजूद होता है, लेकिन उसके बावजूद कितनी बार अंपायर के गलत फैसले चर्चा का विषय बनते हैं। हाल ही में खत्म हुए डबल्यूटीसी के फाइनल में थर्ड अंपायर का शुभमन गिल के खिलाफ दिया हुआ फैसला विवाद का कारण बना था। इसी बीच अंपायर नीतिन मेनन ने ऐसा खुलासा किया जो सुर्खियां बटोर रहा है।
नीतिन मेनन ने बता दी अंदर की बात
आईसीसी के एलीट पैनल के भारतीय अंपायर नितिन मेनन ने एक सनसनीखेज दावा किया है उनका कहना है कि
“टीम इंडिया के सीनियर क्रिकेटर मैदान पर हमेशा दबाव बनाते हैं। लेकिन वह मैदान पर अपने विवेक से फैसले लेते हैं और कभी दबाव में नहीं आते।”
“भारत के घरेलू मैचों में काफी दबाव होता है और उस दबाव के कारण विदेशी मैचों में अंपायरिंग करना आसान हो गया है।”
नीतिन मेनन ने यहां तक कहा कि
“जब टीम इंडिया भारत में मैच खेलती है, तो बहुत प्रचार होता है। ऐसे में बड़े भारतीय खिलाड़ी हमेशा दबाव बनाने की कोशिश करते हैं और करीबी फैसलों को अपने पक्ष में लेने की कोशिश करते हैं।”
विराट कोहली से अक्सर बहस हो जाती है
अंपायर नीतिन मेनन और भारतीय टीम के दिग्गज खिलाड़ी विराट कोहली के साथ उनकी कई बार तकरार देखने को मिली है, कई बार विराट कोहली को उन्होंने अंपायर्स कॉल में आउट करार दिया है, एक बार तो विराट कोहली ने मैदान पर उनके सामने ही कह दिया था कि अगर मै होता तो पक्का आउट देता।
नीतिन मेनन को पिछले दो टी20 विश्व कप अंपायरिंग करने का मौका मिला। अभी तक नितिन ने 15 टेस्ट ,24 वन डे और 20 टी20 अंतराष्ट्रीय मैचों में अंपायरिंग की है। फिलहाल एशेज में अंपायरिंग कर रहे नितिन मेनन एशेज सीरीज को लेकर काफी उत्साहित हैं।नीतिन मेनन ने बताया कि पिछले तीन सालों के लगातार दबाव उन्हे आईसीसीसी एलिट पैनल अंपायर के रुप में विकसित होने में मदद की है।अपने पक्ष में फैसला देने के लिए दबाव बनाते हैं बड़े भारतीय खिलाड़ी ,अभी एशेज में अंपायरिंग कर रहे नीतिन मेनन ने पीटीआई के साथ हुए इंटरव्यू में बताया कि “भारत के घरेलू मैचों में काफी दबाव होता है और उस दबाव के कारण विदेशी मैचों में अंपायरिंग करना आसान हो गया है।”